Thursday, November 26, 2015

मसीह यीशु का अंगीकार करना Accepting Jesus Christ

जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है मसीह यीशु का अंगीकार करना,  इसका तात्पर्य उस विधान से नहीं है जिसे आराधना में विश्वास का अंगीकार करना कहा जाता है, आराधना में विश्वास वचन का दोहराया जाना सबसे सरल कार्य है, महत्वपूर्ण प्रश्न यह है क्या हम विपरीत परिस्थितियों में भी मसीह यीशु का अंगीकार करेंगे? 

एक मसीही ने अपनी गवाही इस तरह दी, दंगे के समय किसी ने उसकी गर्दन पर चाकू रख कर पूछा क्या तुम भी मसीही हो? मौत को साक्षात् सामने देख कर मेरे मुह से एक शब्द निकला नहीं, वह आगे कहता है अब मै रोज़ मरता हूं, यह सोच कर मैंने मसीह का अंगीकार क्यों नहीं किया? रोज़ रोज़ के मरने से एक बार का मर जाना अच्छा था, यह कहानी आपके साथ भी दोहराई जा सकती है, मत्ती10:33 में लिखा है-जो मनुष्यों के सामने मेरा इनकार करेगा उससे मै भी अपने पिता के सामने इनकार करूंगा, मसीह यीशु का इनकार करने का तात्पर्य है अपने विश्वास के विरुद्ध कार्य करना|

होटल में खाना खाते समय अथवा ट्रेन में सफ़र करते समय कितने मसीही प्रार्थना करने से कतराते हैं, मैंने ऐसे भी भोज देखें है जहां अन्य जातियों को निमंत्रित किया गया और बिना प्रार्थना के खाना शुरू कर दिया जाता है| 

मैंने बहुत से मसीहियों को अपनी पहचान छुपाते देखा है, जो धर्म की आड़ में गलत कार्य करते हैं वे सारे आम मसीह यीशु का इनकार कर रहे हैं| वास्तव में हमारी बोली; हमारी भाषा; हमारा चरित्र; हमारा व्यवहार; मसीह यीशु के सामान होना चाहिए| यदि ऐसा नहीं है तो यह यीशु का इनकार करने के बराबर है| व्यावहारिक जीवन हमारे मसीही होने की कसौटी है| जो बात हमारे विश्वास के विरुद्ध हो उसको करना क्या मसीह का इनकार करना नहीं है| परन्तु कितने ही बार हम अपने विश्वास की कीमत पर संसार से समझौता कर लेते हैं|

एक मसीह ब्यक्ति की गवाही- यह बात उन दिनों की है जब मै बिजली विभाग में मज़दूरी करता था| एक दिन मेरे इंजिनियर ने मुझे रूपये दे कर कहा जा कर मेरे लिए शराब ले कर आओ| मैंने दुसरे ही पल रुपये उसके हांथ पर वापस रखते हुए कहा मै ना शराब पीता हूं ना खरीदता हूं| लोगों ने मुझसे कहा तुम्हारी नौकरी जा सकती है| मैंनेउत्तर दिया मै नौकरी का खोना सहन कर सकता हूं लेकिन विश्वास का नहीं| संसार के सामने द्रढ़ता से स्वीकार करना ज़रूरी है-मै मसीही हूं| सलाम⁠⁠⁠⁠

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