मित्रों...
दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें, मेरी तरफ से आपको और आपके परिवार के हर एक सदस्य को बहुत-बहुत बधाई ,
दोस्तों हम बहुत समय से इंतजार में लगे होंते हैं कि कब दिवाली आये और हम खूब सारी खरीदारी करें और पटाखे जलायें, पिछले तीन दिनों से बाजार बहुत गर्म है, मैं भी शाँपिंग के लिऐ गई थी,
मेंने एक दुकानदार से किसी समान को खरीदने के लियें उसका प्राइस पुंछा तब उसने 185 वताया जबकि वही समान हमेशा 140 to 150 में मिल जाता था, मेंने उससे कुछ पेंसे कम करने को कहा तब उसका जबाब था कि आज के दिन मोल भाव नहीं करते, और अगर आपको चाहियें तो इतने में ही मिलेगा लेना हे तो लो वरना समय वर्वाद न करो,
और मेंने देखा कि उसकी शाँप पर बहुत भीड़ थी, और जितने पेंसे बह माँगता था कस्टूमर उतने देकर चला जाता, अब मेरी समझ आया कि जो माल बहुत समय से नहीं सेल हो रहा होता है वो माल दिवाली पर सेल होता है, टेग लगाते हैं डिस्काउंट का और वेचते हैं पुरे दाम में,
और किस तरीके से अरेंज करते हैं यह लोग इनको सब पता है, रियल डिस्काउंट सिर्फ उन प्रोडक्ट पर होता है जिनको हम बहुत कम खरीदते हैं और वो भी सिर्फ नाम मात्र,
कहने का तात्पर्य यह है कि दोस्तों दिवाली पर शापिंग के नाम पर लुटने और पटाखो पर फालतु खर्च करने से वहतर है (जिनसे प्रदूषण ही होता है) कि हम अपनी कमाई व वचत में से थोडा सा फंड (अपनी इच्छानुसार) एेंसे गरीबों को दो जिनके बच्चें शापिंग करना व पटाखे जलाना तो दूर बल्कि उन्हैं भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता, एेंसे लोग व बच्चें आपको सडकों पर बहुत मिल जायेंगे,
ऐसा करके देखो मित्रों उनका खाली पेट भरने से जो आपको ख़ुशी मिलेगी वो शॉपिंग करने या पटाखे जलाने से नहीं मिल सकती, और न भूलें की ख़ुशी के साथ-साथ आप दुआ के भी हक़दार होंगे....
मेरी शापिग वाले कुछ रूपये इन बच्चों को समर्पित...
दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें, मेरी तरफ से आपको और आपके परिवार के हर एक सदस्य को बहुत-बहुत बधाई ,
दोस्तों हम बहुत समय से इंतजार में लगे होंते हैं कि कब दिवाली आये और हम खूब सारी खरीदारी करें और पटाखे जलायें, पिछले तीन दिनों से बाजार बहुत गर्म है, मैं भी शाँपिंग के लिऐ गई थी,
मेंने एक दुकानदार से किसी समान को खरीदने के लियें उसका प्राइस पुंछा तब उसने 185 वताया जबकि वही समान हमेशा 140 to 150 में मिल जाता था, मेंने उससे कुछ पेंसे कम करने को कहा तब उसका जबाब था कि आज के दिन मोल भाव नहीं करते, और अगर आपको चाहियें तो इतने में ही मिलेगा लेना हे तो लो वरना समय वर्वाद न करो,
और मेंने देखा कि उसकी शाँप पर बहुत भीड़ थी, और जितने पेंसे बह माँगता था कस्टूमर उतने देकर चला जाता, अब मेरी समझ आया कि जो माल बहुत समय से नहीं सेल हो रहा होता है वो माल दिवाली पर सेल होता है, टेग लगाते हैं डिस्काउंट का और वेचते हैं पुरे दाम में,
और किस तरीके से अरेंज करते हैं यह लोग इनको सब पता है, रियल डिस्काउंट सिर्फ उन प्रोडक्ट पर होता है जिनको हम बहुत कम खरीदते हैं और वो भी सिर्फ नाम मात्र,
कहने का तात्पर्य यह है कि दोस्तों दिवाली पर शापिंग के नाम पर लुटने और पटाखो पर फालतु खर्च करने से वहतर है (जिनसे प्रदूषण ही होता है) कि हम अपनी कमाई व वचत में से थोडा सा फंड (अपनी इच्छानुसार) एेंसे गरीबों को दो जिनके बच्चें शापिंग करना व पटाखे जलाना तो दूर बल्कि उन्हैं भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता, एेंसे लोग व बच्चें आपको सडकों पर बहुत मिल जायेंगे,
ऐसा करके देखो मित्रों उनका खाली पेट भरने से जो आपको ख़ुशी मिलेगी वो शॉपिंग करने या पटाखे जलाने से नहीं मिल सकती, और न भूलें की ख़ुशी के साथ-साथ आप दुआ के भी हक़दार होंगे....
मेरी शापिग वाले कुछ रूपये इन बच्चों को समर्पित...
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