Thursday, November 26, 2015

जल्दी करें समय तेजी से जा रहा है The time is soon going fast

प्रार्थना

मुझे प्रार्थना के महत्त्व पर विश्वास है। मैं प्रार्थना के जीवन की आशीष का आनन्द लेना चाहता हूँ। परन्तु मेरे भुत  काल की असफलताएँ मेरे मन को व्याकुल करती हैं। मेरे लिए केवल आधा घंटा भी प्रार्थना करना कितना कठिन लगता है। मै कैसे अपने प्रार्थना के समय का आनन्द ले सकता हूँ? क्या हम सफलता के साथ प्रार्थना कर सकते हैं? ऐसे कई एक प्रश्न आपके मन में उठ सकते हैं। डरे नहीं। नीचे मै कुछ व्यवहारिक सुझाव रखना चाहता हूँ । 


 न ठहरें, न नष्ट  करें

न ठहरें, परन्तु तुरंत प्रार्थना करना शुरू करें । इस प्रकार से कह कर देरी न करें, “मै प्रार्थना की कला में  जब बिलकुल निपुण हो जाऊंगा तभी प्रार्थना करूँगा । आप प्रार्थना के भेदों को तभी समझ सकेंगे जब आप प्रार्थना करेंगे। परमेश्वर प्रार्थना की सच्चाईयों को केवल प्रार्थना करने वालों को ही प्रगट करता है । बहुतों के पास प्रार्थना करने की इच्छा होती है परन्तु वे कभी प्रार्थना नही करते। वे कई प्रार्थना के विषय की पुस्तकों को पढ़ते हैं परन्तु अभी तक प्रार्थना करना शुरू नही किया। देरी से आज्ञा को मानना, आज्ञा को न मानने के तुल्य है। देरी करना भी इसी के सामान है। जिनके अन्दर प्रार्थना करने की इच्छा है परन्तु प्रार्थना नहीं करते , उनकी गिनती उनसे अधिक है जो लापरवाही के कारण प्रार्थना नहीं करते। उनका मुख्य कारण है, प्रार्थना प्रारम्भ करने की समस्या, कोई तैरना क्यों कर सिख सकता है जब तक वह पानी में न उतरे? कोई क्योंकर अपने विषयों पर स्वामित्व पा सकता है जबकि वह विद्यालय में प्रवेश न करे? हाँ, जब तक प्रार्थना करना प्रारम्भ न करें, आप प्रार्थना के भेदों को क्योकर समझ सकते हैं ?


प्रभु यीशु ने प्रार्थना के विषय में कई सबक सिखाये। उसने केवल उन्ही को सिखाया जिनके अन्दर प्रार्थना करने की आदत थी। प्रभु यीशु के मन में कभी भी प्रार्थना करने वाले लोग नहीं रहे, जब भी उसने प्रार्थना के बारे में बातचीत की। उसने वह कहा “जब तुम प्रार्थना करो ।” न कि “यदि तुम प्रार्थना करो।“  सब से सफल प्रार्थना के जीवन की पहली सीढी यही है कि इसके विपरीत कि हम दस वर्ष तक प्रार्थना के विषय में पढ़ें, हम दस दिन तक प्रार्थना करें। ऐसा मत सोचें कि आप एक प्रार्थना करने वाले व्यक्ति नहीं हो सकते। आज ही से प्रार्थना करना आरम्भ करें।


  अपने समय को इधर – उधर की बातों में व्यर्थ न करें। यह समय प्रार्थना पर बहस करने का समय नहीं है परन्तु यह समय प्रार्थना करने का समय है। एक सच्चा परिवर्तित मनुष्य परमेश्वर की संगती रखने की लालसा रखेगा। पौलुस तुरंत अपने जीवन परिवर्तन के बाद प्रार्थना करने लगा और अन्य बातों को उसने  हननन्याह के आने पर सिखा। प्रार्थना के विषय में जानने के पहले ही वह प्रार्थना करने लगा। क्या एक जन्म हुए बालक को अपनी माता को बुलाने के लिए किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता  पड़ती है? यह स्वभाविक रूप से उसके पास आ जाता है ना ! आज से आप जितना आप प्रभु से बात चीत कर सकते है, उतना बातचीत करें।



 प्रार्थना के लिए समय नियुक्त करें

प्रार्थना के लिए एक विशेष समय नियुक्त करना एक सफल प्रार्थना – जीवन का एक महत्त्वपूर्ण पहलु है। जो यह कहते है कि हम प्रार्थना तभी करते है, जब हमारी इच्छा होती है, वास्तव में वह प्रार्थना नहीं करते। जो प्रार्थना करने के अवसरों के लिए ठहरते हैं, उन्हें अभी प्रार्थना की प्रारम्भिक बातों को सीखना है। जो लोग अपनी इच्छा के अनुसार प्रार्थना करने को मजबूर होते हैं वह भी इसी श्रेणी में आते हैं। प्रार्थना के लिए एक निश्चित समय रखना ही प्रार्थना जीवन की मुख्यता है। क्या हम भोजन, विश्राम तथा व्यायाम आदि के लिए समय अलग नही करते। परन्तु क्या हमने प्रार्थना के लिए समय अलग किया है ? इस लपरवाही के कारण अनेको का पतन हुआ है। मुझे दुःख हुआ जब मैंने लोगों को एक संयमी और क्रमानुसार जीवन व्यतीत करने के विषय में कहते हुए सुना , परन्तु इनका प्रार्थना जीवन में कोई नियम नहीं है। यह केवल शैतान का धोखा है। 



वह जो अध्ययन में समय व्यतीत नही करता, कॉलेज की डिग्री को प्राप्त नहीं कर सकता – जो संगीत में समय व्यतीत नहीं करता वह एक निपुण संगीतकार नहीं बन सकता किसी भी चीज पर अधिकार पाने के लिए समय अनिवार्य है। बिना दर्द के कुछ भी प्राप्त नहीं होता। इस बात पर गौर कीजिये कि कितना समय आपको प्रार्थना के जीवन के लिए अलग करना चाहिए, जो परमेश्वर को मनुष्य के साथ जोड़ता है। कुछ घंटो तक भावनात्मक रूप से प्रार्थना करना और फिर कई दिनों तक बिलकुल प्रार्थना न करना हानिकारक है। एक दिन लम्बी प्रार्थना कर लेना, दुसरे दिन के लिए पूर्ति नहीं कर सकता। बाइबल के सन्त एक एक स्थिर समय प्रार्थना के लये अलग करते थे और हर प्रकार से इस समय का पालन करते थे। पतरस और युहन्ना तीसरे पहर प्रार्थना के समय मंदिर में गए। अभी कुछ ही दिन पूर्व उन्होंने दस  (10) दिन  प्रार्थना में  व्यतीत किये थे   जिससे पेन्तिकुस्त के दिन पवित्र आत्मा उन पर उंडेला गया। वह लगातार मंदिर में उपस्थित  हो कर   परमेश्वर की स्तुति किया  करते थे। (लूका 24:53) उन्होंने यह कह कर प्रार्थना बंद नहीं कर दिया। “अभी हाल ही में हमने बहुत दिनों तक प्रार्थना की है।“ बड़े जोश के साथ वह अपने प्रार्थना के समय की रक्षा करते रहे।  

बड़ी जाग्रति के समय, पिछली वर्षा के समय में, उस समय में भी जबकि हजारों परमेश्वर के पास आ रहे थे, उन्होंने अपनी प्रार्थना के समय के साथ समझोता नहीं किया जबकि उनकी बहुत से आवश्यकता थी, दुसरे अन्य कारणों को अलग करके उन्होंने अपने प्रार्थना के समय के मूल्य को बनाये रखा, वह कलीसिया जो एक समय प्रार्थना से बढ़ रही थी, आज बिना प्रार्थना के घटती जा रही है । चाहे कोई भी अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य आपको क्यों न हो, प्रार्थना का समय का स्थान नही लेना चाहिए । आपकी कल की प्रार्थना आज की प्रार्थना का स्थान न लेने पाए। कोई  सृष्टी, सृष्टीकर्ता का स्थान न लेने पाए ।


दानिएल को देखें । उसके पास प्रार्थना का निश्चित समय था । “तब वह अपने घर में गया जिसकी ऊपरौठी कोठरी की खिडकियाँ यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं और अपनी रीती अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के सामने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा ।“ (दानिएल 6:10) भले दिनों में  प्रार्थना के समय को सुरिक्षित करना सरल है । हमारी सच्चाई की परीक्षा कठनाइयों के समय में जानी जाती है ।


दानिएल की परिस्थितियों पर विचारें। उसके शत्रुओं ने कई प्रकार से उस पर दोष लगाने का प्रयास किया। परन्तु वे नहीं कर सके। यह एक महान सच्चाई है कि दानिएल के प्रार्थना के समय को कोई बदल नहीं सका । उसके शत्रुओ ने उसके प्रार्थना के समय में गड़बड़ी डालने की कोशिश की। वे जानते थे की उसके  प्रार्थना का समय उसकी सफलता का रहस्य है। राजा के सारे अध्यक्षों ने आपस में सम्मति की और ऎसी आज्ञा निकाली कि उसके नागरिक राजा को छोड़ और किसी से बिनती न करें और यदि वे इस आज्ञा का उलंघन करतें है तो वह शेरों की माद में डाले जाएँ। अपने प्राणों को बचने के लिए भी उसने अपने  प्रार्थना के समय का बलिदान नहीं किया ।

शैतान आपके प्रार्थना के समय को चुराने के लिए तैयार रहता है और इसके लिए आपको जागृत रहने की आवश्यकता है। हर कीमत पर इसको सुरक्षित करने का निर्णय करना चाहिए । परमेश्वर आपका आदर करेगा। आपके द्वारा देश आशीषित होगा। आप परमेश्वर के प्रिय मित्र बन जायेंगे । राजाओं के राजा की संगती आप का भाग होगा। आपका प्रार्थना का जीवन एक अदभुत जीवन बन जाएगा। आज ही अपने प्रार्थना के समय के विषय में निर्णय लें। परमेश्वर को आपके प्रार्थना के समय की जानकारी हो और आप उसको विश्वास योग्यता के साथ रखें।


आप शायद यह प्रश्न कर सकते है कि क्या प्रार्थना के लिए समय नियुक्त करना इतना महत्वपूर्ण है ? क्या यह काफी नहीं कि कोई लगातार प्रार्थना के स्वभाव में रहे ? बहुत से इस बात की सलाह देते हैं कि कार्य करते समय प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना का स्वभाव उन्ही के लिए संभव है, जिनके पास प्रार्थना का नियुक्त समय है। अनुभव से यह बात सत्य मालूम होती है। प्रभु यीशु को देखें। उसके सामान किसी ने भी पिता के साथ बातचीत  नही की। काना की उस शादी में बड़ी भीड़ में भी अपने पिता की उपस्थिति  को महसूस करता था और अपने नियुक्त समय को भी। शोक करने वाले व्यक्तियों के बीच में भी वह पिता की मीठी उपस्थिति का अनुभव कर सकता था। उन्होंने कहा “पिता ने मुझे अकेला नहीं छोड़ा है क्योकि मै वही काम करता जो उसको पसन्द है ।“


वह इस बात को महसूस कर सकते थे, “मै और मेरा पिता एक हैं ।“केवल क्रूस पर ही कुछ  क्षणों के लिए उन्होंने परमेश्वर से अलगताई  को महूस किया। वह उसको सह न सके। क्या इस प्रर्थानायोद्धा के पास विशेष प्रार्थना का समय था ? हाँ बहुत भोर को वह एकांत में प्रार्थना के लिए जाते थे। कई अवसर पर उन्होंने पूरी रात प्रार्थना में बिताई। कई बार जब उनके पास भोजन तथा विश्राम का भी समय नही रहा फिर भी उन्होंने प्रार्थना का समय अलग किया। वह गतसमनी में प्रार्थना के लिए आया करते थे। वे पिता के चरणों में चालीस दिन तक रहे। उन्होंने पहाड़ो पर ऊपर जा कर संध्या से भोर तक प्रार्थना में समय व्यतीत करके, इस बात का प्रमाण दिया कि जो कोई परमेश्वर के साथ समय व्यतीत करते हैं केवल वही उसकी  उपस्थिति का अहसास लगातार कर सकते हैं । जिस व्यक्ति के पास प्रार्थना के लिए समय नही रहता वह प्रार्थना की आत्मा को धीरे–धीरे खो देता है। धोखा न खाएं।


आप एक प्रश्न पूछ सकते हैं ? मैं प्रतिदिन कितनी देर तक प्रार्थना कर सकता हूँ। यह आपके ऊपर निर्भर है। परन्तु मै आपको सलाह देता हूँ। यह अच्छा है कि हम अपने समय का भी दशवांश रखे। यह लगभग दो घंटे चालीस मिनिट ( 2:40) आता है। यदि कानून हमसे दो घंटे चाहता है, तो अनुग्रह इससे अधिक चाहता है। परन्तु व्यवहारिक रीती से आप एक घंटे से शुरू करें। उस समय को बराबर बराबर सुबह और शाम के बीच बाँट लें। आप उसकी दिनभर आशीष को देख कर अचंभित होंगे।


अंत में यह सवाल है कि आप प्रार्थना के लिए अलग स्थान रखें। एक शान्त स्थान आपके प्रार्थना जीवन को भरपूर करेगा। चेले मन्दिर में प्रार्थना करना पसन्द करते थे। प्रभु यीशु पहाड़ों, बगीचों तथा एकान्त के स्थानों को पसन्द करते थे। दानिएल ने ऊपरी कोठरी को प्रार्थना का स्थान बना लिया था। आप चाहें तो अपने घर के किसी भी कोने को चुन सकते हैं। प्रार्थना का एक नियुक्त समय और एक नियुक्त स्थान चुन लेना आपको एक सफलता की कुँजी के समान होगा।


“प्रार्थना ही जीवन है”

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