Tuesday, November 24, 2015

अन्त समय के क्या चिन्ह हैं? What are the signs of the end times ?

मत्ती 24: 5-8  हमें कुछ महत्वपूर्ण संकेत प्रदान करता है जिससे हम अन्त समय के आने को समझ सके, 

“क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, 'मै मसीह हूँ,' और बहुतों को भरमाएँगें। तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो धबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्यक है क्योंकि जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, जगह-जगह अकाल पड़ेंगे और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।"

  झूठे मसीह बढे़ंगे, युद्ध बढ़ेंगे और अकाल, महामारियाँ, और प्राकृतिक विपत्तियाँ बढ़ेंगी - यह अन्त समय के चिन्ह हैं। इस संदर्भ में, यदपि, हमको चेतावनी दी गई है, परन्तु हमें किसी के बहकावे मे नहीं आना है, क्योंकि यह घटनाएँ मात्र गर्भ की पीड़ाओं का आरम्भ हैं; अन्त का आना तो अभी भी बाकी है।


कुछ व्याख्याकार हर एक भूकम्प, हर एक बडें राजनैतिक उथल-पुथल, और इस्त्राएल पर होने वाले हर एक आक्रमण को अन्त समय जल्द आ रहा है का निश्चित चिन्ह बताते हुए संकेत देते हैं। जब कि ये घटनाएँ अन्त के दिनों के आने का सम्भवत: संकेत तो करती है, परन्तु यह आवश्यक नही कि ये यही संकेत करती हो कि अन्त समय आ पहुँचा है। प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी थी कि अन्त के दिनों मे झूठी शिक्षाओं मे विशेष रूप से बृद्धि आ जाएगी।

  "परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है कि आने वाले समयों मे कितने लोग भरमाने वाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगा कर विश्वास से बहक जाएँगे" (1 तीमुथियुस 4:1)। 

अन्तिम समय को "कठिन समय" कह कर वर्णन किया गया है क्योंकि सक्रियता से “सच्चाई का विरोध” करने वाले पुरूष और लोगों के बुरे चरित्र बढ़ते चले जाएगें (2 तीमुथियुस 3:1-9; 2 थिस्सलुनीकियों 2:3 को भी देखें)।

यरूशलेम में यहूदी मन्दिर का दुबारा बनाया जाना, इस्त्राएल के प्रति बढ़ती हुई शत्रुता, और संसार का एक सरकार बनाने की ओर बढ़ना अन्य सम्भव चिन्हों मे सम्मिलित हैं। हांलाकि, अन्त समय का सबसे मुख्य चिन्ह है, इस्राएल राष्ट्र ही है। 70 ईसवी के बाद पहली बार सन् 1948 मे इस्त्राएल को प्रभुत्व सम्पन्न राष्ट्र की पहचान मिली थी। परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की थी कि उसका वंश कनान का अनन्तकाल के लिए अधिकारी होगा (उत्पत्ति 17:8), यहेजकेल ने इस्त्राएल के दैहिक और आत्मिक रूप से जीवित किये जाने के विषय मे भविष्यवाणी की है (यहेजकेल अध्याय 37)। 
अन्त समय की भविष्यवाणी को समझने के लिए इस्त्राएल को अपनी भूमि पर राष्ट्र के रूप मे होना अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इस्त्राएल का युगान्तशास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान है (दानिय्येल 10:14; 11:41, प्रकाशितवाक्य 11:8)।

इन चिन्हों को ध्यान मे रखते हुए, हम अन्त समय की प्रतीक्षा के विषय में बुद्धिमान और समझदार हो सकते हैं। यदपि, हमें इन मे से किसी एक घटना की व्याख्या अन्त समय के जल्द आने के स्पष्ट संकेत के तौर पर नहीं करनी चाहिए। परमेश्वर ने हमे पर्याप्त जानकारी प्रदान की है जिस से हम तैयार हो सकें और इसी के लिए हमें बुलाया भी गया है।

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