Tuesday, December 8, 2015

क्रूस पर क्या ख़त्म हुआ? What happened to cross over?

क्या यीशु के क्रूस पर हमारे पापों के लिए बलिदान होने से 10 आज्ञाएँ खत्म हो गयीं? अगर नहीं तो क्या खत्म हुआ?

कुछ लोगों का मानना है कि यीशु के क्रूस पर अपने प्राण देने के बाद पुराने नियम की सब बातें खत्म हो गयीं। कुछ का तो ये भी मानना है कि यीशु के क्रूस पर प्राण देने के बाद 10 आज्ञाएँ भी खत्म हो गयीं हैं। कुछ बातें खत्म हो गयीं लेकिन कुछ अभी भी हैं और हमेशा रहेंगी।

आइए वचन से देखते है कि परमेशवर ने क्या क्या मानने की आज्ञा दी?
A- (नहेमयाह 9:13,14)
•13- फिर तू ने सीनै पर्वत पर उतर कर आकाश में से उनके साथ बातें कीं, और उनको "सीधे नियम", "सच्ची व्यवस्था", और "अच्छी विधियाँ "और "आज्ञाएँ" दीं।
•14- उन्हें अपने "पवित्र विश्रामदिन" का ज्ञान दिया, और अपने दास मूसा दुआरा "आज्ञाएँ" और "विधियाँ" और व्यवस्था दीं।

B- (व्यवस्थाविवरण 4:5,8,13)
•5- सुनो, मैं ने तो अपने परमेशवर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें "विधि" और "नियम" सिखाये हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उसमें तुम उसके अनुसार चलो।
•8- फिर कौन ऐसी बड़ी जाती है जिसके पास ऐसी धर्ममय "विधि" और "नियम" हों, जैसी की यह सारी "व्यवस्था" जिसे मैं ने आज तुम्हारे सामने रखता हूँ?
•13- और उसने तुम को अपनी "वाचा के दसों वचन" बताकर उनके मानने की आज्ञा दी; और उन्हें पत्थर की 2 पटीयाओं पर लिख दिया।
•14- और मुझ को यहोवा ने उसी समय तुम्हें "विधि" और "नियम" सिखाने की आज्ञा दी।


परमेशवर ने क्या क्या मानने की आज्ञा दी?
1- सीधे नियम।
2- सच्ची व्यवस्था।
3- अच्छी विधियाँ।
4- आज्ञाएँ
5- विश्रामदिन का ज्ञान।
•ये ही परमेशवर ने मानने को कहा और ये परमेशवर की आज्ञा थी कि ये सब नियम, व्यवस्था, विधियाँ, आज्ञाएँ, और विश्रामदिन ये सब मानें जाएँ।
(सबसे पहले परमेशवर ने 10 आज्ञाएँ दी।)


अब प्रशन ये है कि यीशु के क्रूस पर प्राण त्यागने के बाद क्या क्या मानना खत्म हो गया और क्या क्या अभी भी है?

• कुछ मसीह लोगों का मानना है की यीशु ने क्रूस पर हमारे पापों के लिए प्राण त्यागकर पुराने नियम और 10 आज्ञाओं को खत्म कर दिया।

जबकि पूरी बाइबिल में कहीं ये नहीं लिखा की परमेशवर ने अपनी आज्ञाओं को बदला हो या काटा हो या ना मानने को कहा हो।
•पुराने नियम में परमेशवर यहोवा ने अपनी आज्ञाओं को मानने को कहा है।
•नए नियम में यीशु ने पिता परमेशवर की आज्ञाएँ खुद भी मानीं और चेलों को भी मानना सिखाया और हमें भी मानने की आज्ञा दी।


आइये देखें क्या खत्म हुआ यीशु के क्रूस पर मरने से?
• (कुलुसियों 2:14)
"विधियों का वह लेख" जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उसे क्रूस पर कीलों से जड़कर सामने से हटा दिया।

• (इफिसियों 2:15)
और अपने शरीर में बैर अर्थात् वह "व्यवस्था जिसकी आज्ञाएँ विधियों की रीति" पर थीं, मिटा दिया कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न कर के मेल करा दे।



यीशु की मृत्यु ने क्या क्या मिटा दिया?
1- विधियों का लेख।
2- विधियों की रीति की व्यवस्था।
परमेशवर ने अपनी 10 आज्ञाओं को नहीं मिटाया। अगर यीशु को 10 आज्ञाएँ खत्म ही करनी थी तो वो हमें जरूर बताता कि ये आज्ञाएँ अब मत मानना। लेकिन यीशु ने खुद पिता की आज्ञाओं को माना क्योंकि यीशु पिता परमेशवर का आज्ञाकारी था।  बल्कि "विधियों का लेख" और "विधियों की रीति की व्यवस्था" को मिटाया।


अब देखते हैं की ये "विधियों का लेख" और "विधियों की रीति की व्यवस्था" कौन-कौन सी हैं?
हमें पता होना चाहिए की "विधियों का लेख" और "विधियों की रीति की व्यवस्था" कौन कौन सी थी?

आइए वचन से देखें विधियाँ कौन से हैं-
"विधियों का लेख"- (लैव्यव्यवस्था 1 अध्याय से 7) अध्याय तक विधियों के लेख के बारे में है जो यीशु के क्रूस पे मरने का साथ खत्म हो गयीं।

• होमबलि की विधि। (लैव्यव्यवस्था 1:1-17 तक)
• अन्नबलि की विधि। (लैव्यव्यवस्था 2:1-16 तक)
• मेलबलि की विधि। (लैव्यव्यवस्था 3:1-17 तक)
• पापबलि की विधि। (लैव्यव्यवस्था 4:1-35 तक)
• दोषबलि की विधि। (लैव्यव्यवस्था 5:14-19 तक)

भाँती- भाँति के बलिदानों की विधि।
•(लैव्यव्यवस्था 6 अध्याय से 7 अध्याय तक)

• (लैव्यव्यवस्था 7:37,38)
37- होमबलि, अन्नबलि, पापबलि, दोषबलि, याजकों के संस्कार बलि, और मेलबलि की व्यवस्था यही है।
38- यहोवा ने चढ़ावे की यही व्यवस्था दी।


यीशु के क्रूस पे अपने प्राण देने और लहू बहाने से ये सब विधियाँ खत्म हो गयीं। जो बलिदान पहले चढ़ाये जाते थे वो खत्म हो गए। पहले बकरों व बैलों का बलिदान किया जाता था वो यीशु के बलिदान से खत्म हो गया। क्या बकरों और बैलों का लहू मनुष्य को उसके पाप से शुद्ध कर सकता था? नही। सिर्फ यीशु का लहू ही हमें सब पापों से शुद्ध करता है। यीशु के लहू दुआर वो सब विधियाँ समाप्त हो गयीं।

•(इब्रानियों 10:4-7,10)
4- क्योंकि यह अनहोना है कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे।
5- इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, "बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिए एक देह तैयार की।
6- होम-बलियों और पाप-बलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।
7- तब मैं ने कहा, 'देख,मैं आ गया हूँ, पवित्र शास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है, ताकि हे परमेशवर, तेरी इच्छा पूरी करूँ।
10- उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाये जानें के दुआरा पवित्र किये गए।

मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्न नहीं होता, होमबलि और पापबलि तू ने नहीं चाहा।


चारों सुसमाचारों (मत्ती, मरकुस, लूका, यूहन्ना) में यीशु के जन्म, सेवकाई, मृत्यु, और पुनरुत्थान या स्वर्गारोहण में ऐसा कुछ भी नहीं पाया जाता जो यह साबित करे की यीशु मसीह ने पिता परमेशवर की 10 आज्ञाओं को समाप्त किया हो।
समाप्त नहीं किया बल्कि खुद यीशु ने भी पिता की आज्ञाओं को माना, और चेलों को भी मानना सिखाया, और सब मनुष्य जाती को परमेशवर पिता की आज्ञाओं को मानने को कहा। अगर 10 आज्ञाओं को समाप्त करना होता तो यीशु आज्ञा जरूर देता की उन आज्ञाओं को मत मानना या मेरे क्रूस पे बलिदान होने से 10 आज्ञाएँ समाप्त हो जाएँगी लेकिन ऐसा कहीं भी नही पाया जाता।

आइए देखें यीशु ने क्या कहा और क्या आज्ञा दी-
•(मत्ती 5:17,18)
17- "यह न समझो, की मैं व्यवस्था या भविष्यवक्ताओ की पुस्तकों को लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ।
18- मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल ना जायें, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या एक बिन्दु भी बिना पूरा हुआ नहीं टलेगा।

•(मत्ती 19:17)
यीशु ने उससे कहा, पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो आज्ञाओं को माना कर।

•(यूहन्ना 15:10)
यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बनें रहोगे; जैसा की मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ।

•(गलतियों 6:2)
मसीह की व्यवस्था को पूरा करो।

•(याकूब 2:10,11)
10-क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है परन्तु एक ही बात में चूक जाये तो वह सब बातों में दोषी ठहर चुका है।
11- इसलिए की जिसने यह कहा, " तू व्याभिचार ना करना" उसी ने यह भी कहा, "तू हत्या न करना" इसलिए यदि तू ने व्याभिचार तो नहीं किया हत्या की तौभी तू व्यवस्था का उल्लंघन करने वाला ठहरा।

•(1 यूहन्ना 2:4)
जो कोई यह कहता है, "मैं उसे जान गया हूँ," और उसकी आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है और उसमें सत्य नहीं।

•(1 यूहन्ना 5:3)
क्योंकि परमेशवर से प्रेम रखना यह है की हम उसकी आज्ञाओं को मानें; और उसकी आज्ञाएँ कठिन नहीं।

•(2 यूहन्ना 1:6)
और प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के अनुसार चलें; यह वही आज्ञा है जो तुम में आरम्भ से सुनी है, और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए।

•(प्रकाशितवाक्य 14:12)
पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेशवर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विशवास रखते हैं।

(यीशु ने मत्ती, मरकुस, लूका, यहुन्ना में भी आज्ञाओं को मानने की आज्ञा दी है न की आज्ञा खत्म करने की।)


Note- यीशु के क्रूस पर बलिदान देने के बाद 10 आज्ञाएँ खत्म नहीं हुयीं। यीशु और उसके चेलों ने भी आज्ञाओं को माना व लोगों को भी मानना सिखाया। यीशु के बलिदान से बकरों व बैलों के बलिदान समाप्त हो गए ना की 10 आज्ञाएँ। क्योंकि परमेशवर ने अपना इकलौता पुत्र हमारे पापों के लिए बलिदान किया तो वो बलिदान जो पहले होते थे यीशु के लहू दुआरा खत्म हो गए।

जो यह कहता है की अब यीशु के लहू दुआरा 10 आज्ञाएँ समाप्त हो गयीं है उसके समझने में ही कमी है। और जो परमेशवर के वचन का विरोध करता है वो वह शैतान की और से है। आमीन।

1 comment:

  1. But why is so long followed by Isreal? Is nobody there to understand this in the Old Testament ?

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