भाईयो और बहनो, हम सब जक्कई के बारे में जानते हैं, वह एक चुंगी लेने वाला साधारण रोमी सरकारी कर्मचारी नहीं था?
वह चुंगी लेने वालों का सरदार था, यदि आज के समय से देखे तो कम से कम इनकम टैक्स कमिश्नर होगा।
और सबसे बड़ी और खास बात के वह "धनी" था, ध्यान रहे जक्कई धनी था.....
यदि आज के समय मे देखे तो सारा संसार धन के ही पीछे भाग रहा हैं,... और जक्कई धनी होते हुए भी यीशु को देखना चाहता हैं,....
इसका वर्णन हमें लूका 19 :1-5, में मिलता है।
ज़क्कई के जीवन में किसी बात की कमी घटी नही थी , एेसा बाईबल बताती हैं, हाँ लेकिन एक इच्छा उसके मन में थी कि वह यीशु को देखना चाहता था?
लेकिन यीशु को देखने की उसकी इच्छा के रास्ते में एक ही समस्या थी और वह यह थी कि उसका क़द नाटा था,... यानी छोटा था,..
निश्चय उसने सबसे पहले भीड़ में जाकर यीशु को देखने का प्रयास किया होगा, लेकिन उसको समझ आ गया था कि उस भीड़ मे बहुत प्रयास के बाद भी वह यीशु को देख नहीं पायेगा,....
ठीक हमारे जीवन में भी भीड़ रहती हैं, बहुत बार ऐसी परिस्थितियाँ आती है,..जैसे पारिवारिक समस्याएँ , बीमारीयाँ , पैसो की तंगी, नौकरी इत्यादि का क़द कई बार इतना ऊंचा हो जाता है, कि हम यीशु को चाह कर भी देख नहीं पाते,
ठीक वैसे ही जैसे लाल समुद्र इतना विशाल था, की उसका क़द इतना बड़ा लग रहा था इस्राएलियों को की वह खुद को बौना महसूस कर रहे थे उसके सामने, लेकिन जैसे ही मूसा की नजर परमेश्वर की तरफ गई उस समुन्दर का क़द छोटा हो गया,...,
ज़क्कई ने भी एेसा ही कुछ किया ?
वह समझ गया था कि यीशु को देखने के लिए उसको भीड़ से अलग होना पडे़गा, यदि वह भीड़ में से देखना चाहता तो यीशु दिखायी नहीं देता, सो वह भीड़ से अलग हो गया,...
भाईयो और बहनो, क्या हम भी यीशु को देख नहीं पा रहे हैं ? उसकी वजह व्यर्थ बातों की भीड़ मैरे और आपके सामने हैं, इस भीड़ को अपनी कमजाेरी मत बनने दो इस भीड़ से अलग हो जाआे, परमेश्वर आपको इस दुनिया की भीड़ में देखना नहीं चाहता,..
प्रकाशितवाक्य 18:4, मे लिखा हैं," हे मेरे लोगो,उस में से निकल आओ कि तुम उसके पापो में भागी न हो, और उसकी विपत्तीयों मे से कोई तुम पर आ न पडे़।
परमेश्वर यह चाहता है कि हम दुनिया कि अभिलाषाओं की भीड़ से निकल कर व्यक्तिगत रुप से उसे देखे,..
प्रतिदिन परमेश्वर को अपना मुँह दिखाएे, प्रार्थना और बाईबल से वचन का मनन करे और वचन के द्वारा परमेश्वर को निहारे,......
ज़क्कई समझ गया था कि वह भीड़ मे से प्रभु यीशु मसीह को नहीं देख सकता, उसका समय भी खराब होगा और उसे सफलता भी नहीं मिलेगी।
हम भी जब तक भीड़ मे हैं, हम यीशु को नही देख पायेगें..
भाईयो और बहनो, यीशु ने एक बार पतरस से पूछा था ? लोग मुझे कुछ भी कहें , तुम मुझे क्या कहते हो ?
यही सवाल आज हमारे सामने भी हैं,?आज परमेश्वर चाहता है कि हमारी चाल वो न हो जो भीड़ की है। भीड़ से हमारा उद्धार नहीं है,... हमारा उद्धार यीशु से हैं, यीशु के साथ हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध क्या है, ये समझना महत्वपूर्ण हैं, इसके लिए हमे भीड़ से निकलकर यीशु मसीह के साथ समय बीताना होगा।....
ज़क्कई के मन में यीशु को देखने की इच्छा इस कदर थी कि उसने अपने सामाजिक सम्मान की अपने कारोबार की भी चिन्ता नहीं की, वह चुगीं लेने वालो का सरदार होकर भी पेड़ पर चढ़ गया,....
वो भी गूलर का पेड़ जिसकी टहनी बेहद मुलायम और कमजोर होती हैं,जक्कई ने अपनी जिन्दगी दाँव पर लगा दी यीशु को देखने के लिए, हमने क्या लगाया दाँव पर यीशु को देखने के लिए,...
ध्यान दीजिये,...
यदि आपकी मंशा परमेश्वर की दृष्टि में ठीक है तो गूलर का पेड़ भी नहीं टूटेगा यानी अगर हम यीशु को देखने के लिए कुछ छोड़ना भी चाहे तो उसका कई गुना हमे परमेश्वर से मिलेगा,..
यहाँ भी और स्वर्ग में भी, लेकिन यदि हमारा मन ठीक नहीं है तो जो आज हमारे पास हैं, एक दिन वह भी हम से ले लिया जायेगा....
ज़क्कई ने समाज की चिन्ता नहीं की, लोग क्या कहेंगे ? हम व्हाट्सएप्प, फेसबुक का इस्तेमाल तो करते है लेकिन एक दूसरे को जय मसीह की लिखने मे भी डरते हैं, जलस महसूस करते है, खैर हमारा जीवन इसी डर में तो बीत गया कि लोग क्या कहेंगे,...
हम व्यर्थ की बातो में रह गए,... ये कभी नहीं सोचा कि परमेश्वर क्या कहेगा की यह जीवन तुझे क्यो दिया !
जक्कई ने अपने जीवन का सही समय पर फायदा उठाया और यीशु को देखने की केवल इच्छा ही व्यक्त की यीशु ने कहाँ जक्कई नीचे उतर आ आज मुझे तेरे घर जाना अवश्य हैं,
लोग फोटो तो डालते हैं, जिसमे यीशु मसीह द्वार पर खड़े खटखटाते हैं ताकी लोग उसे देखे और लाईक करे और कमेन्स लिखे लेकिन अफसोस अपने दिल के द्वार बन्द कर रखे हैं,...
आज समय हैं, हम अपने दिल के द्वार भी खोले और अपने नैनो के द्वार भी खोले तो यीशु मसीह कहेगा आज मुझे तुम्हारे घर आना अवश्य हैं.....
वह चुंगी लेने वालों का सरदार था, यदि आज के समय से देखे तो कम से कम इनकम टैक्स कमिश्नर होगा।
और सबसे बड़ी और खास बात के वह "धनी" था, ध्यान रहे जक्कई धनी था.....
यदि आज के समय मे देखे तो सारा संसार धन के ही पीछे भाग रहा हैं,... और जक्कई धनी होते हुए भी यीशु को देखना चाहता हैं,....
इसका वर्णन हमें लूका 19 :1-5, में मिलता है।
ज़क्कई के जीवन में किसी बात की कमी घटी नही थी , एेसा बाईबल बताती हैं, हाँ लेकिन एक इच्छा उसके मन में थी कि वह यीशु को देखना चाहता था?
लेकिन यीशु को देखने की उसकी इच्छा के रास्ते में एक ही समस्या थी और वह यह थी कि उसका क़द नाटा था,... यानी छोटा था,..
निश्चय उसने सबसे पहले भीड़ में जाकर यीशु को देखने का प्रयास किया होगा, लेकिन उसको समझ आ गया था कि उस भीड़ मे बहुत प्रयास के बाद भी वह यीशु को देख नहीं पायेगा,....
ठीक हमारे जीवन में भी भीड़ रहती हैं, बहुत बार ऐसी परिस्थितियाँ आती है,..जैसे पारिवारिक समस्याएँ , बीमारीयाँ , पैसो की तंगी, नौकरी इत्यादि का क़द कई बार इतना ऊंचा हो जाता है, कि हम यीशु को चाह कर भी देख नहीं पाते,
ठीक वैसे ही जैसे लाल समुद्र इतना विशाल था, की उसका क़द इतना बड़ा लग रहा था इस्राएलियों को की वह खुद को बौना महसूस कर रहे थे उसके सामने, लेकिन जैसे ही मूसा की नजर परमेश्वर की तरफ गई उस समुन्दर का क़द छोटा हो गया,...,
ज़क्कई ने भी एेसा ही कुछ किया ?
वह समझ गया था कि यीशु को देखने के लिए उसको भीड़ से अलग होना पडे़गा, यदि वह भीड़ में से देखना चाहता तो यीशु दिखायी नहीं देता, सो वह भीड़ से अलग हो गया,...
भाईयो और बहनो, क्या हम भी यीशु को देख नहीं पा रहे हैं ? उसकी वजह व्यर्थ बातों की भीड़ मैरे और आपके सामने हैं, इस भीड़ को अपनी कमजाेरी मत बनने दो इस भीड़ से अलग हो जाआे, परमेश्वर आपको इस दुनिया की भीड़ में देखना नहीं चाहता,..
प्रकाशितवाक्य 18:4, मे लिखा हैं," हे मेरे लोगो,उस में से निकल आओ कि तुम उसके पापो में भागी न हो, और उसकी विपत्तीयों मे से कोई तुम पर आ न पडे़।
परमेश्वर यह चाहता है कि हम दुनिया कि अभिलाषाओं की भीड़ से निकल कर व्यक्तिगत रुप से उसे देखे,..
प्रतिदिन परमेश्वर को अपना मुँह दिखाएे, प्रार्थना और बाईबल से वचन का मनन करे और वचन के द्वारा परमेश्वर को निहारे,......
ज़क्कई समझ गया था कि वह भीड़ मे से प्रभु यीशु मसीह को नहीं देख सकता, उसका समय भी खराब होगा और उसे सफलता भी नहीं मिलेगी।
हम भी जब तक भीड़ मे हैं, हम यीशु को नही देख पायेगें..
भाईयो और बहनो, यीशु ने एक बार पतरस से पूछा था ? लोग मुझे कुछ भी कहें , तुम मुझे क्या कहते हो ?
यही सवाल आज हमारे सामने भी हैं,?आज परमेश्वर चाहता है कि हमारी चाल वो न हो जो भीड़ की है। भीड़ से हमारा उद्धार नहीं है,... हमारा उद्धार यीशु से हैं, यीशु के साथ हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध क्या है, ये समझना महत्वपूर्ण हैं, इसके लिए हमे भीड़ से निकलकर यीशु मसीह के साथ समय बीताना होगा।....
ज़क्कई के मन में यीशु को देखने की इच्छा इस कदर थी कि उसने अपने सामाजिक सम्मान की अपने कारोबार की भी चिन्ता नहीं की, वह चुगीं लेने वालो का सरदार होकर भी पेड़ पर चढ़ गया,....
वो भी गूलर का पेड़ जिसकी टहनी बेहद मुलायम और कमजोर होती हैं,जक्कई ने अपनी जिन्दगी दाँव पर लगा दी यीशु को देखने के लिए, हमने क्या लगाया दाँव पर यीशु को देखने के लिए,...
ध्यान दीजिये,...
यदि आपकी मंशा परमेश्वर की दृष्टि में ठीक है तो गूलर का पेड़ भी नहीं टूटेगा यानी अगर हम यीशु को देखने के लिए कुछ छोड़ना भी चाहे तो उसका कई गुना हमे परमेश्वर से मिलेगा,..
यहाँ भी और स्वर्ग में भी, लेकिन यदि हमारा मन ठीक नहीं है तो जो आज हमारे पास हैं, एक दिन वह भी हम से ले लिया जायेगा....
ज़क्कई ने समाज की चिन्ता नहीं की, लोग क्या कहेंगे ? हम व्हाट्सएप्प, फेसबुक का इस्तेमाल तो करते है लेकिन एक दूसरे को जय मसीह की लिखने मे भी डरते हैं, जलस महसूस करते है, खैर हमारा जीवन इसी डर में तो बीत गया कि लोग क्या कहेंगे,...
हम व्यर्थ की बातो में रह गए,... ये कभी नहीं सोचा कि परमेश्वर क्या कहेगा की यह जीवन तुझे क्यो दिया !
जक्कई ने अपने जीवन का सही समय पर फायदा उठाया और यीशु को देखने की केवल इच्छा ही व्यक्त की यीशु ने कहाँ जक्कई नीचे उतर आ आज मुझे तेरे घर जाना अवश्य हैं,
लोग फोटो तो डालते हैं, जिसमे यीशु मसीह द्वार पर खड़े खटखटाते हैं ताकी लोग उसे देखे और लाईक करे और कमेन्स लिखे लेकिन अफसोस अपने दिल के द्वार बन्द कर रखे हैं,...
आज समय हैं, हम अपने दिल के द्वार भी खोले और अपने नैनो के द्वार भी खोले तो यीशु मसीह कहेगा आज मुझे तुम्हारे घर आना अवश्य हैं.....
प्रभु हम सब को अक्ल समझ और बुद्धि दें,.. आमीन......
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