जैसे शैतान ने अदन के बाग में किया था, वह आज भी ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाता है जो ज़्यादा तजुरबा नहीं रखते। वह खास तौर से नौजवानों को अपना निशाना बनाता है।
जब एक जवान, या दरअसल कोई भी, अपनी मरज़ी से दास बनकर यहोवा की सेवा करने के लिए खुद को पेश करता है, तो शैतान को ज़रा-भी खुशी नहीं होती। परमेश्वर का यह दुश्मन चाहता है कि जिन्होंने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की है, वे सभी यहोवा के लिए अपनी वफादारी बनाए रखने और उसकी भक्ति करने में नाकाम हो जाएँ।
शैतान नौजवानों को यकीन दिलाना चाहता है कि उसकी दुनिया में करियर बनाने से ही एक इंसान सुखी रह सकता है। मगर मसीहियों को अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने की अहमियत को गंभीरता से लेना चाहिए।
यीशु ने सिखाया: “सुखी हैं वे जिनमें परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।” (मत्ती 5:3) समर्पित मसीही परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए जीते हैं, शैतान की नहीं। वे यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहते हैं और उसकी व्यवस्था पर रात दिन मनन करते हैं। (भज. 1:1-3)
मगर आज की दुनिया ज़्यादातर ऐसे कोर्स करने का बढ़ावा देती है, जिसकी वजह से यहोवा के सेवकों को मनन करने और अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने के लिए बहुत ही कम समय मिलता है।
जब एक जवान, या दरअसल कोई भी, अपनी मरज़ी से दास बनकर यहोवा की सेवा करने के लिए खुद को पेश करता है, तो शैतान को ज़रा-भी खुशी नहीं होती। परमेश्वर का यह दुश्मन चाहता है कि जिन्होंने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित की है, वे सभी यहोवा के लिए अपनी वफादारी बनाए रखने और उसकी भक्ति करने में नाकाम हो जाएँ।
शैतान नौजवानों को यकीन दिलाना चाहता है कि उसकी दुनिया में करियर बनाने से ही एक इंसान सुखी रह सकता है। मगर मसीहियों को अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने की अहमियत को गंभीरता से लेना चाहिए।
यीशु ने सिखाया: “सुखी हैं वे जिनमें परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।” (मत्ती 5:3) समर्पित मसीही परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए जीते हैं, शैतान की नहीं। वे यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहते हैं और उसकी व्यवस्था पर रात दिन मनन करते हैं। (भज. 1:1-3)
मगर आज की दुनिया ज़्यादातर ऐसे कोर्स करने का बढ़ावा देती है, जिसकी वजह से यहोवा के सेवकों को मनन करने और अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने के लिए बहुत ही कम समय मिलता है।
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