मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है।—यिर्म. 17:9.
स्वस्थ मन से फैसला करने का मतलब यह नहीं कि हम बस वही करें जो हमें या दूसरों को सही या आसान लगता है।
हमारे असिद्ध दिल और दिमाग की तुलना एक घड़ी से की जा सकती है, जो या तो बहुत तेज़ चल रही है या बहुत ही धीरे। अगर हम गलत समय दिखानेवाली उस घड़ी के हिसाब से चलें, तो हम मुसीबत में पड़ सकते हैं।
इसलिए अगर हम मुसीबतों से बचना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि हम अपने दिल और दिमाग को परमेश्वर के भरोसेमंद स्तरों के मुताबिक ढालें। (यशा. 55:8, 9)
बाइबल हमें यह बुद्धि-भरी सलाह देती है: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।” (नीति. 3:5, 6)
ध्यान दीजिए यह आयत कहती है, “तू अपनी समझ का सहारा न लेना।” इसके बाद आयत कहती है, यहोवा को ‘स्मरण करना।’ सिर्फ वही है, जिसका मन पूरी तरह से स्वस्थ है। इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले, हमें बाइबल से जानने की कोशिश करनी चाहिए कि उस मामले में यहोवा का क्या नज़रिया है, ताकि हम वही फैसला लें, जो यहोवा का होगा।
{ आमीन }
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