Tuesday, December 1, 2015

यीशु की मिसाल Jesus' example

‘हर तरह की जलन-कुढ़न, गुस्सा, क्रोध, चीखना-चिल्लाना और गाली-गलोच  को खुद से दूर करो।’ —इफि. 4:31.
माता-पिताओ, यीशु की मिसाल पर गौर कीजिए। ज़रा सोचिए, अपने प्रेरितों के साथ आखिरी बार शाम का खाना खाते वक्‍त वह कितने भारी तनाव से गुज़र रहा होगा। यीशु जानता था कि कुछ ही घंटों में वह धीरे-धीरे एक दर्दनाक मौत मरेगा। और वह यह भी जानता था कि उसके वफादार बने रहने से ही उसके पिता का नाम पवित्र होगा और इंसानों का उद्धार हो पाएगा। लेकिन उसी शाम खाने की मेज़ पर, “प्रेरितों के बीच इस बात पर गरमा-गरम बहस छिड़ गयी कि उनमें सबसे बड़ा किसे समझा जाए।” इस पर यीशु न तो उन पर झल्लाया और न ही उसने उन्हें कुछ बुरा-भला कहा। इसके बजाय, उसने शांत रहकर प्रेरितों की सोच सुधारी। यीशु ने उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने परीक्षाओं के दौरान हमेशा उसका साथ दिया था। 

हालाँकि शैतान उन्हें गेहूँ की तरह फटकने और छानने की माँग कर रहा था, यानी उनकी परीक्षा लेनेवाला था, मगर यीशु ने कहा कि उसे यकीन है कि वे अपना विश्वास बनाए रखेंगे। उसने उनके साथ एक करार भी किया।—लूका 22:24-32.

No comments:

Post a Comment