काना गांव के शादी में यीशु उपस्थित था। तब पुराना दाखरस खत्म हुआ। पुराना दाखरस मनुष्यों के मेहनत द्वारा बनाया गया था। उसे बनाने में कई वर्ष लगे। परन्तु, उस दाखरस द्वारा आवश्यकता पूरी नहीं हुई। यह घटना उस जीवन को दर्शाती है जो पुरानी वाचा के दबाव में है। पुराना दाखरस खत्म हो गया। हमें नया दाखरस देने से पूर्व प्रभु को इंतजार करना पड़ा। ''प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहने और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है।
परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, तुमने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज़ सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करनेवाले उस से भी तेज़ होंगे। एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भगोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं। तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करें। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं'' (यशायाह 30:15-18)।
विजयशाली जीवन जीने का हम प्रयास करते रहे परन्तु हर बार हार गए। इससे हमें परमेश्वर कुछ सिखाना चाहता है कि हम स्वयं के शक्ति द्वारा विजय प्राप्त नहीं कर सकते। जब तक हम नियम के निचे है तब तक पाप हम पर राज करेगा। परमेश्वर उसके हर बच्चे में एक महत्वपूर्ण कार्य करना चाहता है। वह चाहता है कि हम जो स्वयं पर भरोसा करते है वह संपूर्ण रीति से नष्ट हो जाए। काना गांव में यीशु ने पुराना दाखरस खत्म होने के लिये इंतजार किया। फिर उसके बाद चमत्कार किया। यीशु इंतजार कर रहा है कि हम जो स्वयं पर भरोसा करते है उस भरोसे का अन्त हो। हमारी असफलता तथा हार कई बार परमेश्वर द्वारा होती है। ताकि हम शून्य स्थिति में आ जाए और फिर हमारी दुर्बलता में वह उसकी सामर्थ प्रकट करे जो हमारे लिये है (2 कुरिन्थियों 12:9)।
जब हम परीक्षा में होते हैं, लालच करते हैं, कडवाहट बाते करते हैं, अति क्रोधित होते हैं, स्वयं को धर्मी समझते हैं, निन्दा करते हैं, औरों का न्याय करते हैं, औरों की क्षमा नहीं करते, संसारिक बातों से प्रेम करते हैं, लड़ते हैं और बदला लेना चाहते हैं, तब, हमारी स्वयं की दुष्ट शक्ति दिखाई देती है, जो कुछ काम की नहीं होती। उपर बताई हुई सभी बातें दर्शाती है कि हममें घमंड है। वह दर्शाती है कि पुराना दाखरस अब भी बाकी है। यीशु इंतजार कर रहा है कि दाखरस खत्म हो जाए। इस कारण वह शान्त है।
परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, तुमने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज़ सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करनेवाले उस से भी तेज़ होंगे। एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भगोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं। तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करें। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं'' (यशायाह 30:15-18)।
विजयशाली जीवन जीने का हम प्रयास करते रहे परन्तु हर बार हार गए। इससे हमें परमेश्वर कुछ सिखाना चाहता है कि हम स्वयं के शक्ति द्वारा विजय प्राप्त नहीं कर सकते। जब तक हम नियम के निचे है तब तक पाप हम पर राज करेगा। परमेश्वर उसके हर बच्चे में एक महत्वपूर्ण कार्य करना चाहता है। वह चाहता है कि हम जो स्वयं पर भरोसा करते है वह संपूर्ण रीति से नष्ट हो जाए। काना गांव में यीशु ने पुराना दाखरस खत्म होने के लिये इंतजार किया। फिर उसके बाद चमत्कार किया। यीशु इंतजार कर रहा है कि हम जो स्वयं पर भरोसा करते है उस भरोसे का अन्त हो। हमारी असफलता तथा हार कई बार परमेश्वर द्वारा होती है। ताकि हम शून्य स्थिति में आ जाए और फिर हमारी दुर्बलता में वह उसकी सामर्थ प्रकट करे जो हमारे लिये है (2 कुरिन्थियों 12:9)।
जब हम परीक्षा में होते हैं, लालच करते हैं, कडवाहट बाते करते हैं, अति क्रोधित होते हैं, स्वयं को धर्मी समझते हैं, निन्दा करते हैं, औरों का न्याय करते हैं, औरों की क्षमा नहीं करते, संसारिक बातों से प्रेम करते हैं, लड़ते हैं और बदला लेना चाहते हैं, तब, हमारी स्वयं की दुष्ट शक्ति दिखाई देती है, जो कुछ काम की नहीं होती। उपर बताई हुई सभी बातें दर्शाती है कि हममें घमंड है। वह दर्शाती है कि पुराना दाखरस अब भी बाकी है। यीशु इंतजार कर रहा है कि दाखरस खत्म हो जाए। इस कारण वह शान्त है।